भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तरफ से ब्राउन प्लांट हॉपर और अन्य कीटों से बचाव के की सलाह: धान की फसल को बचाने के लिए अपनाएं ये प्रभावी तरीके
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तरफ से ब्राउन प्लांट हॉपर और अन्य कीटों से बचाव के की सलाह: धान की फसल को बचाने के लिए अपनाएं ये प्रभावी तरीके
Khet tak, नई दिल्ली – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने धान की खेती करने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है, जिसमें खासतौर पर ब्राउन प्लांट हॉपर और अन्य कीटों के हमले से बचने के उपायों पर जोर दिया गया है। इस समय धान की फसल वानस्पतिक वृद्धि की स्थिति में है, और इस दौरान कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है।
ब्राउन प्लांट हॉपर का खतरा
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्राउन प्लांट हॉपर (BPH) कीट का प्रभाव मुख्य रूप से सितंबर से अक्टूबर तक रहता है। इसका जीवन चक्र 20 से 25 दिन का होता है, और यह कीट पौधों के तने और पत्तियों से रस चूसते हैं। अधिक रस चूसने से धान की पत्तियों पर काले रंग की फफूंदी उग जाती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है। इसके परिणामस्वरूप पौधों का विकास रुक जाता है और फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस कीट की उपस्थिति को “हॉपर बर्न” के नाम से जाना जाता है।
कीट नियंत्रण के उपाय
फिरोमोन ट्रैप का उपयोग: तना छेदक कीट की निगरानी के लिए खेत में फिरोमोन ट्रैप लगाएं। एक एकड़ में 3 से 4 ट्रैप लगाने की सलाह दी गई है।
करटाप दवा का प्रयोग: अगर धान की फसल में पत्त्ता मरोंड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो, तो करटाप दवाई का बुरकाव करें। इसका अनुपात 4 फीसदी दाने 10 किलोग्राम प्रति एकड़ होना चाहिए।
स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की बुवाई
कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की बुवाई मेड़ो पर करें। गाजर की बुवाई भी मेड़ो पर करनी चाहिए। बीज दर 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें और बुवाई से पहले बीज को केप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। खेत तैयार करते समय देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक डालना न भूलें।
कीट और बीमारियों से बचाव के उपाय
निगरानी और संपर्क: कीड़ों और बीमारियों की निरंतर निगरानी रखें और कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क में रहें। दवाइयों का प्रयोग सही जानकारी के बाद करें।
फल मक्खी का नियंत्रण: फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्ढे में दबा दें। खेत में गुड़ या
चीनी के साथ कीटनाशी घोल का प्रयोग करें।
विषाणु रोग का नियंत्रण: मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें। प्रकोप अधिक होने पर इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।